NEPC: AI Sprint पर्यावरणीय संकट का कारण बन सकता है

NEPC: AI Sprint पर्यावरणीय संकट का कारण बन सकता है

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) वैश्विक अर्थव्यवस्था में क्रांतिकारी परिवर्तन ला रहा है, लेकिन इसके तीव्र विकास से गंभीर पर्यावरणीय खतरे भी उत्पन्न हो सकते हैं। नेशनल एनवायरनमेंटल पॉलिसी काउंसिल (NEPC) की एक हालिया रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि AI के अत्यधिक ऊर्जा उपयोग और संसाधन खपत के कारण पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

1. AI के ऊर्जा उपयोग में बढ़ोतरी

AI मॉडल्स को प्रशिक्षित करने और संचालित करने के लिए अत्यधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। Microsoft, Google, Amazon और Meta जैसी कंपनियां बड़े पैमाने पर डेटा सेंटर संचालित कर रही हैं, जिनके लिए भारी मात्रा में बिजली की जरूरत होती है। NEPC की रिपोर्ट के अनुसार, AI डेटा सेंटरों से कार्बन उत्सर्जन में तेजी से वृद्धि हो रही है।

2. जल संसाधनों पर प्रभाव

AI डेटा सेंटरों को ठंडा रखने के लिए बड़े पैमाने पर पानी की आवश्यकता होती है। NEPC की रिपोर्ट में कहा गया है कि AI-संचालित डेटा सेंटरों के कारण जल संकट और बढ़ सकता है, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां पहले से ही जल संसाधनों की कमी है।

3. ई-कचरा और संसाधनों की खपत

AI हार्डवेयर के लिए उच्च-प्रदर्शन वाले चिप्स और सर्वर आवश्यक होते हैं, जिनका उत्पादन पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। चिप निर्माण के लिए दुर्लभ धातुओं का खनन किया जाता है, जिससे प्रदूषण और प्राकृतिक संसाधनों की अत्यधिक खपत होती है।

4. समाधान और सतत विकास

NEPC की रिपोर्ट में AI कंपनियों को हरित ऊर्जा अपनाने, अधिक ऊर्जा-कुशल हार्डवेयर विकसित करने और AI के सतत विकास पर ध्यान देने की सिफारिश की गई है। कंपनियां नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को अपनाकर और जल एवं ऊर्जा उपयोग को कम करके इस संकट को टाल सकती हैं।

निष्कर्ष

AI का तेजी से विस्तार न केवल उद्योगों को बदल रहा है, बल्कि यह पर्यावरण पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव डाल रहा है। यदि कंपनियां सतत विकास की रणनीतियों को नहीं अपनाती हैं, तो AI का अनियंत्रित विकास पर्यावरणीय संकट को जन्म दे सकता है।

आपके विचार में AI का सतत विकास कैसे सुनिश्चित किया जा सकता है? हमें कमेंट में बताएं!

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