
हॉलीवुड अभिनेत्री स्कारलेट जोहानसन (Scarlett Johansson) ने हाल ही में इंटरनेट पर वायरल हो रहे फर्जी वीडियो को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है। सोशल मीडिया पर कई मशहूर हस्तियों के झगड़े और विवाद दिखाने वाले डीपफेक (Deepfake) वीडियो तेजी से फैल रहे हैं, जिनमें सच और झूठ के बीच की रेखा धुंधली होती जा रही है।
क्या है मामला?
पिछले कुछ दिनों में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर कई वीडियो वायरल हुए हैं, जिनमें कुछ प्रसिद्ध हस्तियों को एक-दूसरे से लड़ते हुए दिखाया गया। इनमें से कई वीडियो पूरी तरह से नकली थे, जिन्हें एआई (Artificial Intelligence) और डीपफेक तकनीक की मदद से बनाया गया था। इन वीडियो में ऐसा दिखाया गया कि सेलिब्रिटीज किसी विवाद में उलझ गए हैं, जिससे उनके फैंस भ्रमित हो गए।
स्कारलेट जोहानसन ने क्या कहा?
स्कारलेट जोहानसन ने इस मुद्दे पर खुलकर बात करते हुए कहा कि यह एक गंभीर समस्या है और इससे लोगों को सच और झूठ में अंतर करना मुश्किल हो रहा है। उन्होंने कहा, “सोशल मीडिया पर नकली वीडियो इतनी तेजी से फैलते हैं कि लोग यह नहीं समझ पाते कि क्या असली है और क्या झूठ। यह न केवल हमारी निजता का उल्लंघन करता है, बल्कि हमारी प्रतिष्ठा को भी नुकसान पहुंचा सकता है।”
उन्होंने टेक कंपनियों से अपील की कि वे इस तरह की फेक कंटेंट को रोकने के लिए सख्त कदम उठाएं।
डीपफेक वीडियो का बढ़ता खतरा
डीपफेक वीडियो तकनीक आजकल इतनी उन्नत हो चुकी है कि नकली वीडियो को असली से अलग कर पाना मुश्किल हो जाता है। इससे पहले भी कई सेलेब्रिटीज इस तकनीक का शिकार हो चुके हैं, जिसमें टॉम क्रूज़, एमा वाटसन और अन्य कई बड़े नाम शामिल हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह सिर्फ सेलेब्रिटीज के लिए ही नहीं, बल्कि आम जनता के लिए भी चिंता का विषय है। इस तरह के फेक वीडियो गलत सूचना (Misinformation) फैलाने और लोगों को भ्रमित करने के लिए इस्तेमाल किए जा सकते हैं।
क्या किया जा सकता है?
- सोशल मीडिया जागरूकता – लोगों को फेक वीडियो की पहचान करना सीखना होगा।
- सख्त कानून – सरकारों को डीपफेक वीडियो के दुरुपयोग पर सख्त कानून लागू करने चाहिए।
- टेक्नोलॉजी का सही उपयोग – एआई का इस्तेमाल फेक वीडियो को पहचानने और रोकने के लिए किया जाना चाहिए।
निष्कर्ष
स्कारलेट जोहानसन जैसी बड़ी हस्तियों का इस मुद्दे पर बोलना दिखाता है कि डीपफेक तकनीक कितनी खतरनाक हो सकती है। यह सिर्फ मनोरंजन तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे झूठी खबरें और गलत धारणाएं भी फैल सकती हैं। हमें डिजिटल दुनिया में सतर्क रहना होगा और सच और झूठ के बीच फर्क करना सीखना होगा।
आप इस विषय पर क्या सोचते हैं? हमें कमेंट में बताएं! 🚀