
भारत और 57 अन्य देशों ने पेरिस संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर किए: समावेशी और सतत एआई के लिए एक मजबूत कदम
पेरिस, फरवरी 2025: भारत और दुनिया के 57 अन्य देशों ने हाल ही में पेरिस संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर किए, जिसमें समावेशी और सतत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के विकास और उपयोग को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया। यह बयान AI तकनीक के भविष्य को सभी के लिए सुलभ, न्यायपूर्ण और पर्यावरणीय दृष्टि से टिकाऊ बनाने का संकल्प लेता है।
इस पहल का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि AI के विकास में सभी देशों, विशेषकर विकासशील देशों को बराबरी का अवसर मिले और इसका लाभ समाज के हर वर्ग तक पहुंचे। इसके साथ ही, यह AI के समग्र प्रभावों को ध्यान में रखते हुए इसके सतत और जिम्मेदार उपयोग को प्रोत्साहित करेगा।
समावेशी और सतत AI का महत्व
AI के विकास ने दुनिया भर में कई अवसर खोले हैं, लेकिन इसके साथ कई चुनौतियाँ भी सामने आई हैं। इनमें से एक प्रमुख चुनौती यह है कि AI तकनीक के लाभ केवल कुछ देशों और कंपनियों तक सीमित रह सकते हैं, जिससे गैर-बराबरी और समान अवसरों की कमी पैदा हो सकती है। इस संयुक्त बयान के माध्यम से, हस्ताक्षरकर्ता देश AI के विकास को पूरी दुनिया में समान रूप से वितरित करने का संकल्प लेते हैं।
इसके अलावा, AI के पर्यावरणीय प्रभावों को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता। AI मॉडल और डेटा सेंटर की बढ़ती ऊर्जा खपत और इसके पर्यावरणीय परिणामों पर भी ध्यान देना जरूरी है। बयान में AI के सतत उपयोग के लिए उपायों को शामिल किया गया है ताकि यह तकनीक न केवल मानवता के लाभ के लिए काम करे, बल्कि पर्यावरण पर भी कम से कम प्रभाव डाले।
भारत का योगदान
भारत ने इस पहल में प्रमुख भूमिका निभाई है, और इसके द्वारा दिए गए दृष्टिकोण ने इस संयुक्त बयान को और भी महत्वपूर्ण बना दिया है। भारत सरकार ने समावेशी और सतत AI के लिए नैतिक दिशानिर्देश तैयार करने का प्रस्ताव रखा है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि AI का उपयोग न केवल टेक्नोलॉजिकल विकास के लिए बल्कि समाज की भलाई के लिए भी किया जाए।
भारत का यह दृष्टिकोण इस बात को स्पष्ट करता है कि AI को केवल आर्थिक लाभ के दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि समाज के विभिन्न वर्गों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए विकसित किया जाए। भारत में AI के संभावित लाभों का फायदा शेयर और समावेशिता के सिद्धांत पर आधारित होना चाहिए, जिससे इसके प्रभाव सभी क्षेत्रों में महसूस किए जा सकें।
संयुक्त बयान के प्रमुख उद्देश्य
संयुक्त बयान में AI के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जिनमें मुख्य हैं:
- समावेशी विकास: सभी देशों, विशेषकर विकासशील देशों को AI के लाभ का बराबरी से वितरण।
- नैतिक AI: AI प्रणालियों के विकास में नैतिक मानकों को लागू करना, ताकि समाज के सभी वर्गों की भलाई सुनिश्चित की जा सके।
- नौकरी और समाज पर प्रभाव: AI के कारण उत्पन्न होने वाली नौकरी और श्रमिक बाजार में बदलावों का समग्र अध्ययन और समाधान।
- सतत तकनीकी विकास: AI का पर्यावरण पर न्यूनतम प्रभाव सुनिश्चित करना, जिससे यह टिकाऊ और जिम्मेदार तरीके से विकसित हो सके।
- AI शिक्षा और प्रशिक्षण: सभी देशों में AI कौशल का प्रसार करना, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इस तकनीक के लाभ से जुड़ सकें।
पेरिस संयुक्त बयान का भविष्य पर प्रभाव
इस संयुक्त बयान से यह स्पष्ट होता है कि AI का भविष्य केवल उन देशों में सीमित नहीं होगा जो तकनीकी रूप से सबसे उन्नत हैं, बल्कि इसका लाभ ग्लोबल साउथ (विकासशील देशों) तक भी पहुंचेगा। इसके अलावा, यह एआई को समाज के लिए अधिक जिम्मेदार और टिकाऊ बनाने के लिए एक कदम है, जिससे आने वाले वर्षों में सभी देशों को इसके फायदे मिलेंगे।
भारत के लिए यह एक ऐतिहासिक कदम है, क्योंकि यह एक ऐसे मंच पर खड़ा है जहां से वो AI नीति निर्माण, तकनीकी नवाचार, और समाज कल्याण के बीच संतुलन बनाए रख सकता है। पेरिस संयुक्त बयान यह दर्शाता है कि भारत और अन्य देश AI के नैतिक उपयोग के लिए एक नई दिशा की ओर बढ़ रहे हैं, जो आने वाले समय में एक सकारात्मक बदलाव लेकर आएगा।
निष्कर्ष
भारत और अन्य 57 देशों का पेरिस में हस्ताक्षरित संयुक्त बयान समावेशी और सतत AI के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इस पहल का उद्देश्य न केवल AI के नैतिक उपयोग को बढ़ावा देना है, बल्कि इसे हर देश, हर समाज तक पहुंचाने का भी है, ताकि इस तकनीक का लाभ पूरी मानवता को मिल सके। भारत का योगदान इस दिशा में अत्यंत महत्वपूर्ण है, और यह भविष्य में AI के क्षेत्र में समग्र और संतुलित विकास को सुनिश्चित करेगा।