
पेरिस एआई एक्शन समिट में, ग्लोबल साउथ का उत्थान
10-11 फरवरी, 2025 को पेरिस में आयोजित होने वाला एआई एक्शन समिट तकनीकी नवाचार और वैश्विक सहयोग की दिशा में एक अहम कदम साबित हो सकता है। इस समिट में ग्लोबल साउथ (विकसित देशों के विपरीत, विकासशील और उभरते देशों का समूह) की भूमिका को बढ़ावा देने पर जोर दिया जाएगा। एआई के क्षेत्र में विकासशील देशों की शक्ति और उपस्थिति को स्वीकार करना और उन्हें वैश्विक निर्णय-निर्माण में महत्वपूर्ण स्थान देना, समिट का मुख्य उद्देश्य है।
ग्लोबल साउथ की शक्ति
अक्सर वैश्विक चर्चा में, एआई और तकनीकी नवाचार को विकसित देशों की प्रगति के रूप में देखा जाता है, जो आगे बढ़ रहे हैं और विकासशील देशों के लिए मार्गदर्शक बने हैं। हालांकि, ग्लोबल साउथ के देश अब तकनीकी परिवर्तन की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं और एआई के इस्तेमाल में अपनी ताकत और योगदान दिखा रहे हैं। इस समिट का उद्देश्य इन देशों की बढ़ती भूमिका और उनके दृष्टिकोण को सामने लाना है, ताकि एआई के वैश्विक परिदृश्य में समान अवसर और चुनौतीपूर्ण विषयों पर एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान किया जा सके।
समिट में ग्लोबल साउथ का योगदान
पेरिस एआई एक्शन समिट में यह महत्वपूर्ण होगा कि ग्लोबल साउथ के देश एआई के विकास और उपयोग से जुड़े वैश्विक नीति निर्माण में कैसे सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। कुछ प्रमुख पहलुओं पर चर्चा की जाएगी:
- ग्लोबल साउथ की नीतियां और प्राथमिकताएं: समिट में ग्लोबल साउथ के देशों की विशिष्ट आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं पर जोर दिया जाएगा। यह देशों के लिए एआई तकनीक को अधिक समावेशी और सुलभ बनाने के तरीकों पर ध्यान केंद्रित करेगा। खासकर, ये देश अपनी आर्थिक, सामाजिक, और राजनीतिक समस्याओं का समाधान एआई के माध्यम से कैसे कर सकते हैं, इस पर भी चर्चा होगी।
- विकासशील देशों के लिए एआई की सुलभता: समिट में यह भी माना जाएगा कि कैसे एआई तकनीकों को विकासशील देशों में अधिक सुलभ और किफायती बनाया जा सकता है। इन देशों के लिए संसाधन सीमित होते हैं, और समिट में चर्चा की जाएगी कि कैसे एआई के उपयोग को स्थानीय जरूरतों के अनुसार अनुकूलित किया जा सकता है।
- एआई और सामाजिक न्याय: एआई के उपयोग को सामाजिक न्याय, मानवाधिकार, और समानता के दृष्टिकोण से देखा जाएगा। ग्लोबल साउथ के देशों में इन मुद्दों पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है, जहां व्यापक सामाजिक चुनौतियाँ हैं। इस समिट के माध्यम से इन देशों को एआई नीति के लिए वैश्विक मंच पर आवाज देने का अवसर मिलेगा।
- सांस्कृतिक विविधता और एआई: ग्लोबल साउथ में विविधता और संस्कृति को ध्यान में रखते हुए एआई के विकास को समझने और लागू करने की आवश्यकता है। समिट में यह चर्चा होगी कि एआई तकनीक को कैसे विभिन्न सांस्कृतिक और सामाजिक संदर्भों में उपयोग किया जा सकता है, ताकि यह अधिक प्रभावी और स्वीकार्य हो।
ग्लोबल साउथ की सफलता की कहानियां
यह समिट ग्लोबल साउथ की उन सफलताओं को उजागर करने का एक मंच होगा, जहां एआई ने विकासशील देशों के लिए सकारात्मक बदलाव लाए हैं। उदाहरण के लिए:
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और स्वास्थ्य सेवाएं: कई ग्लोबल साउथ देशों ने एआई का इस्तेमाल स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए किया है। भारत जैसे देशों ने एआई का उपयोग रोगों की पहचान, चिकित्सा आपातकालीन सेवाओं, और स्वास्थ्य डेटा के विश्लेषण में किया है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर हो रही हैं।
- कृषि में एआई: एआई का उपयोग कृषि में भी बढ़ रहा है, जहां किसानों को बेहतर फसल पैटर्न, कीट नियंत्रण, और मौसम पूर्वानुमान के बारे में जानकारी मिल रही है। इस प्रकार के नवाचारों से कृषि में उत्पादन बढ़ाने और किसानों की मदद करने में महत्वपूर्ण योगदान हो रहा है।
- शहरी विकास: कई विकासशील देशों ने एआई का उपयोग स्मार्ट शहरों के निर्माण में किया है, जिसमें ट्रैफिक प्रबंधन, ऊर्जा उपयोग, और शहरी समस्याओं को हल करने के लिए स्मार्ट तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है।
समिट के बाद की दिशा
पेरिस एआई एक्शन समिट के बाद, ग्लोबल साउथ के देशों के लिए एआई नीति और नीतिगत बदलावों में महत्वपूर्ण अवसर होंगे। इस समिट से यह उम्मीद की जाती है कि एआई के लिए एक वैश्विक ढांचा तैयार होगा, जिसमें सभी देशों की आवाज शामिल होगी। यह समिट यह भी सुनिश्चित करेगा कि एआई का विकास और वितरण अधिक समान, जिम्मेदार और नैतिक तरीके से किया जाए, ताकि सभी देशों को समान अवसर मिल सकें।
निष्कर्ष
पेरिस एआई एक्शन समिट में ग्लोबल साउथ का उत्थान एक महत्वपूर्ण कदम है। यह समिट विकासशील देशों को वैश्विक एआई परिदृश्य में अपनी शक्ति दिखाने और नीति निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाने का एक सुनहरा अवसर प्रदान करेगा। एआई के उपयोग से न केवल इन देशों के आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि यह समावेशी, न्यायपूर्ण और सतत समाधान की दिशा में भी कदम बढ़ाएगा। इस समिट के जरिए ग्लोबल साउथ के देशों को एक मंच मिलेगा, जिससे वे एआई के वैश्विक विकास में अपना योगदान बढ़ा सकें।